अब तक भारत में फैले जिस वेरिएंट को भारतीय वेरिएंट बताया जा रहा है वो भारतीय वेरिएंट है ही नहीं। न ही विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी वेरिएंट को किसी अमुक देश का नाम देता है। केंद्र सरकार ने भी इसको लेकर एक बयान जारी किया है।
भारत में कोहराम मचा रही कोरोना महामारी की दूसरी लहर में वायरस के जिस प्रकार B.1.617 को भारतीय वेरिएंट का नाम दिया जा रहा है वो दरअसल, भारतीय वेरिएंट है ही नहीं। इसको लेकर केंद्र सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये स्पष्ट तौर पर कहीं नहीं कहा है कि B.1.617 जानलेवा वायरस का एक भारतीय प्रकार है। हालांकि संगठन ने ये जरूर कहा है कि इससे पूरी दुनिया को खतरा है और इससे पूरी दुनिया की चिंता बढ़ गई है।
केंद्र सरकार ने बयान में स्पष्ट किया है कि मीडिया रिपोर्ट्स में लगातार कोरोना वायरस के B.1.617 प्रकार को भारतीय वेरिएंट बताया जा रहा है जो कि सही नहीं है। इस तरह की बातें पूरी तरह से आधारहीन है और बेबुनियाद हैं। बयान में ये भी स्पष्ट किया गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की 32 पेज की रिपोर्ट में कहीं भी भारतीय शब्द तक का भी इस्तेमाल नहीं किया गया है।
आपको बता दें कि सोमवार देर रात विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना था कि वायरस का B.1.617 वेरिएंट पहली बार भारत में पाया गया था, जिसको लेकर संगठन ने विश्व स्तर पर चिंता जाहिर की थी। संगठन की विशेषज्ञ डॉक्टर मारिया के मुताबिक इसको वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की श्रेणी में रखा गया है। संगठन के मुताबिक 11 मई तक कोरोना वायरस के करीब 4500 सिक्वेंस GISAID को अपलोड किया जा चुका है। संगठन को इसके बाबत सभी छह क्षेत्रों और अन्य पांच देशों से भी रिपोर्ट हासिल हुई हैं।
कोरोना के B.1.617 वेरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट कर दी है। संगठन की तरफ से किए गए एक ट्वीट में कहा गया है कि संगठन किसी भी वायरस के वेरिएंट को किसी अमुक देश से जोड़कर नाम नहीं देता है। वो केवल इस बात का ध्यान रखता है कि वो अमुक वेरिएंट पहली बार कहां पर देखा गया है। इसके बाद इस वेरिएंट को एक नाम देने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।